Sunday, 26 July 2015

Interesting History and facts about the Indian Parliament in Hindi:-


संसद भवन का इतिहास:

निर्माण: भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को ड्यूक आफ कनाट ने किया था। इस महती काम को अंजाम देने में छह वर्षो का लंबा समय लगा। इसका उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया था। संपूर्ण भवन के निर्माण कार्य में कुल 83 लाख रुपये की लागत आई।

आकार: गोलाकार आवृत्ति में निर्मित संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर का है तथा इसकी परिधि आधा किलोमीटर से अधिक (536.33 मीटर) है जो करीब छह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर)भू-भाग पर स्थित है। दो अर्धवृत्ताकार भवन केंद्रीय हाल को खूबसूरत गुंबदों से घेरे हुए हैं। भवन के पहले तल का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका है। प्रत्येक खंभे की लम्बाई 27 फीट (8.23 मीटर) है। बाहरी दीवार ज्यामितीय ढंग से बनी है तथा इसके बीच में मुगलकालीन जालियां लगी हैं। भवन करीब छह एकड़ में फैला है तथा इसमें 12 द्वार हैं जिसमें गेट नम्बर 1 मुख्य द्वार है।

स्थापत्य: संसद का स्थापत्य नमूना अद्भुत है। मशहूर वास्तुविद लुटियंस ने भवन का डिजाइन तैयार किया था। सर हर्बर्ट बेकर के निरीक्षण में निर्माण कार्य संपन्न हुआ था। खंबों तथा गोलाकार बरामदों से निर्मित यह पुर्तगाली स्थापत्यकला का अदभुत नमूना पेश करता है। गोलाकार गलियारों के कारण इसको शुरू में सर्कलुर हाउस कहा जाता था। संसद भवन के निर्माण में भारतीय शैली के स्पष्ट दर्शन मिलते हैं। प्राचीन भारतीय स्मारकों की तरह दीवारों तथा खिड़कियों पर छज्जों का इस्तेमाल किया गया है।

संस्था: संसद भवन देश की सर्वोच्च विधि निर्मात्री संस्था है। इसके प्रमुख रूप से तीन भाग हैं- लोकसभा, राज्यसभा और केंद्रीय हाल।

लोकसभा कक्ष: लोकसभा कक्ष अर्धवृत्ताकार है। यह करीब 4800 वर्ग फीट में स्थित है। इसके व्यास के मध्य में ऊंचे स्थान पर स्पीकर की कुर्सी स्थित है। लोकसभा के अध्यक्ष को स्पीकर कहा जाता है। सर रिचर्ड बेकर ने वास्तुकला का सुन्दर नमूना पेश करते हुए काष्ठ से सदन की दीवारों तथा सीटों का डिजाइन तैयार किया। स्पीकर की कुर्सी के विपरीत दिशा में पहले भारतीय विधायी सभा के अध्यक्ष विट्ठल भाई पटेल का चित्र स्थित है। अध्यक्ष की कुर्सी के नीचे की ओर पीठासीन अधिकारी की कुर्सी होती है जिस पर सेक्रेटी-जनरल (महासचिव) बैठता है। इसके पटल पर सदन में होने वाली कार्यवाई का ब्यौरा लिखा जाता है। मंत्री और सदन के अधिकारी भी अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखते हैं। पटल के एक ओर सरकारी पत्रकार बैठते हैं। सदन में 550 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। सीटें 6 भागों में विभाजित हैं। प्रत्येक भाग में 11 पंक्तियां हैं। दाहिनी तरफ की 1 तथा बायीं तरफ की 6 भाग में 97 सीटें हैं। बाकी के चार भागों में से प्रत्येक में 89 सीटें हैं। स्पीकर की कुर्सी के दाहिनी ओर सत्ता पक्ष के लोग बैठते हैं और बायीं ओर विपक्ष के लोग बैठते हैं।

राज्य सभा: इसको उच्च सदन कहा जाता है। इसमें सदस्यों की संख्या 250 तक हो सकती है। उप राष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है। राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव मतदान द्वारा जनता नहीं करती है,बल्कि राज्यों की विधानसभाओं के द्वारा सदस्यों का निर्वाचन होता है। यह स्थायी सदन है। यह कभी भंग नहीं होती। 12 सदस्यों का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। ये सदस्य क ला, विज्ञान, साहित्य आदि क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां होती हैं। इस सदन की सारी कार्यप्रणाली का संचालन भी लोकसभा की तरह होता है।

केंद्रीय हाल: केंद्रीय कक्ष गोलाकार है। इसके गुंबद का व्यास 98 फीट (29.87 मीटर) है। यह विश्व के सबसे महत्वपूर्ण गुम्बद में से एक है। केंद्रीय हाल का इतिहास में विशेष महत्व है। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तांतरण इसी कक्ष में हुआ था। भारतीय संविधान का प्रारूप भी इसी हाल में तैयार किया गया था। आजादी से पहले केंद्रीय हाल का उपयोग केंद्रीय विधायिका और राज्यों की परिषदों के द्वारा लाइब्रेरी के तौर पर किया जाता था। 1946 में इसका स्वरूप बदल दिया गया और यहां संविधान सभा की बैठकें होने लगी। ये बैठकें 9 दिसम्बर 1946 से 24 जनवरी 1950 तक हुई। वर्तमान में केंद्रीय हाल का उपयोग दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के लिए होता है, जिसको राष्ट्रपति संबोधित करते हैं।

संसद से जुड़े 10 रोचक तथ्य: 
  1. संसद की संरचना संसद भवन की इमारत की संरचना को को सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने बनाया था।
  2. 83 लाख में बना था संसद भवन संसद भवन की नींव की पहली ईंट 12 फरवरी 1921 में रखी गयी थी, इसके निर्माण में 6 साल और 83 लाख रुपए का खर्च आया था
  3. सबसे सस्ती कैंटीन संसद की कैंटीन में महज 12 रुपए मे मिलता है खाना।
  4. सेंट्रल हॉल की मह्त्ता 14-15 अगस्त 1947 से पहले इसी हॉल से यूके से भारत में सत्ता का हस्तांतरण इसी हॉल में होता था।
  5. संसद की लाइब्रेरी भी है खास संसद की लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, पहली नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता में है।
  6. सेंट्रल हॉल में था देश का सुप्रीम कोर्ट जी हां आजादी के बाद नयी सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग बनने तक सेंट्रल हॉल में ही देश का सुप्रीम कोर्ट चलता था।
  7. हाथ से लिखा संविधान सुरक्षित है यहां संसद की लाइब्रेरी में भारत के संविधान की हिंदी और अग्रेजी में हाथ से लिखी प्रतिलिपि यहां नाइट्रोजन गैस से भरे चैंबर में सुरक्षित रखा गया है।
  8. संसदी भवन की संरचना गोलाकार क्यूं हैं? संसद की गोलाकर संरचना निरंतरता की प्रती है, यह संरचना यह दर्शाती है यह सत्ता बनी रहेगी और कभी खत्म नहीं होगी।
  9. संसद की पहली मंजिल पर हैं 144 खंभे जी हां संसद के पहले तल्ले की बालकनी में 144 पिलर्स हैं।
  10. घोड़े के पैर की संरचना पर बने हैं दोनों सदन जी हां लोकसभा और राज्यसभा हॉल का आकार घोड़े के पैर के आकार का है।

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